इस जंगल को छोड़कर
गांव जाने का मन करता है
ढहाकर ये इमारत
घर बनाने का मन करता है
देखता हूं हर तरफ
सब भाग रहे हैं बेतहाशा
तेरी गोद में आकर अम्मा
सुस्ताने का मन करता है
चंद लोगों की मुट्ठी में
सारे सिक्के सारी ताकत
ऐसे लोगों की बस्ती में आग
लगाने का मन करता है
भविष्य देश का लिए कटोरा
लालबत्ती पर खड़ा है
उनके हाथों में कलम
थमाने का मन करता है
उखाड़ने को आतुर हैं जो
तानाशाही सरकारें
उनके दिलों में अब शोला
भड़काने का मन करता है
चकाचौंध इस शहर की
आंखों में चुभने लगी हैं
हमेशा के लिए अब इसकी
बत्ती बुझाने का मन करता है...
भागीरथ
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