मेरा एक दोस्त
साहित्यकार पत्रकार
तन के लिए पत्रकारिता
मन की भूख मिटाने के लिए
अपनी कल्पना को
कागज पर उतारता है
और मै पत्रकार
सिर्फ़ पत्रकार
ऐसा मानता हूँ
दूसरों का पता नहीं
वो कहानियां लिखता है
पुरस्कार पाता है
लिखता मै भी हूँ
कभी स्क्रिप्ट
कभी स्टोरी
बदले में पुरस्कार तो नहीं मिलता
लेकिन कुछ पैसा मिला जाता हैं
तन के लिए
उसे गुलज़ार से ले कर यादव तक
जानते हैं
मै खुद को खोज रहा हूँ
जानने के लिए
पहचानने के लिए
मन की भूख मिटाने के लिए
शशि शेखर
shekhar2k89@yahoo.com
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bahut sundar kavita hai shashi jee
जवाब देंहटाएंbadhai sweekar karen