शनिवार, 18 अप्रैल 2009

सब तुम्हें नहीं कर सकते प्यार

कुमार अम्बुज

यह मुमकिन ही नहीं कि सब तुम्हें करें प्यार
यह जो तुम बार-बार नाक सिकोड़ते हो
और माथे पर जो बल आते हैं
हो सकता है किसी एक को इस पर आए प्यार
लेकिन इसी वजह से ही कई लोग चले जाएंगें तुमसे दूर
सड़क पार करने की घबराहट खाना खाने में जल्दबाजी
या ज़रा-सी बात पर उदास होने की आदत
कई लोगों को तुम्हें प्यार करने से रोक ही देगी

फिर किसी को पसंद नहीं आएगी तुम्हारी चाल
किसी को ऑंख में ऑंख डालकर बात करना गुज़रेगा नागवार
चलते-चलते रुक कर इमली के पेड़ को देखना
एक बार फिर तुम्हारे खिलाफ जाएगा
फिर भी यदि तुमसे बहुत से लोग एक साथ कहें
कि वे सब तुमको करते हैं प्यार तो रुको और सोचो
यह बात जीवन की साधारणता के विरोध में जा रही है
देखो, इस शराब का रंग नीला तो नहीं हो रहा

यह होगा ही
कि तुम धीरे-धीरे अपनी तरह का जीवन जीओगे
और अपने प्यार करने वालों को
अजीब मुश्किल में डालते चले जाओगे

जो उन्नीस सौ चौहत्तर में और जो उन्नीस सौ नवासी में
करते थे तुमसे प्यार
उगते हुए पौधे की तरह देते थे पानी
जो थोड़ी-सी जगह छोड़ कर खड़े होते थे कि तुम्हें मिले प्रकाश
वे भी एक दिन इसलिए दूर जा सकते हैं कि अब
तुम्हारे होने की परछाईं उनकी जगह तक पहुँचती है

तुम्हारे पक्ष में सिर्फ यही उम्मीद हो सकती है
कि कुछ लोग तुम्हारे खुरदरेपन की वज़ह से भी
करने लगते हैं तुम्हें प्यार

जीवन में उस रंगीन चिडिया की तरफ देखो
जो किसी एक का मन मोहती है
और ठीक उसी वक्त एक दूसरा उसे देखता है
अपने शिकार की तरह।

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