बुधवार, 15 अप्रैल 2009

जब तलक जिंदा रहे

जब तलक जिंदा रहे
पहचान से इंकार था
जब खाक होकर मिट गए
सब कहते हैं फनकार था
जिसने सारी ज़िन्दगी
मुझको बहुत रुसवा किया
आज वही कह रहा है
मैं बहुत खुद्दार था

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