गुरुवार, 17 दिसंबर 2009

लोकेशन

























अभी कल तलक
कहते थे-
नहीं होने देंगे अन्याय
लडेंगे अत्याचारी से
झोपड़ी और गगन चूमती
एसीदार इमारतों के बीच
कर देंगे खत्म फासला
आज वह भी,
उन्हीं लोगों की जमात में
हो गए हैं शामिल
सबसे आगे चल रहे हैं उठाकर
उनका झंड़ा
उसी एसीदार इमारत पर
ले लिया है फ्लैट
बालकनी में खडे़ होकर
देखता है झोपड़ी की तरफ
जहां से उठकर आया है
अब खटक रही है उसे
अपने बगल में
उस झोपड़ी की लोकेशन।

भागीरथ




1 टिप्पणी:

  1. यार ये पंक्तियाँ बड़ी कातिल है
    और तुमने सलीब पर लटका सच दिखाया है
    कई बार हम भी यह सच देखने से चूक जाते हैं
    अब लोकेशन अच्छा है...
    मुझे यह कविता पढ़ते हुए एक नये कवि की पुरानी कविता ध्यान में आ जाती है
    "गाँव में आया है कला-रशिक"
    कभी मौका पड़ा तो यहाँ पाठकों के समक्ष पेश करूंगा

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