आज सड़कों पर लिखें हैं सैंकड़ों नारे न देख,
घर अँधेरा देख तू, आकाश के तारे न देख।
एक दरिया है यहाँ दूर तक फैला हुआ,
आज अपने बाजुओं को देख, पतवारें न देख।
अब यकीनन ठोस है धरती हकीकत की तरह,
यह हकीकत देख लेकिन खौफ के मारे न देख।
वे सहारे भी नहीं अब, जंग लड़नी है तुझे,
कट चुके जो हाथ, उन हाथों में तलवारें न देख।
दिल को बहला ले, इजाजत है, मगर इतना न उड़,
रोज सपने देख, लेकिन इस कदर प्यारे न देख।
ये धुँधलका है नजर का, तू महज मायूस है,
रोजनों को देख, दीवारों में दीवारें न देख।
राख, कितनी राख है, चारों तरफ बिखरी हुई,
राख में चिनगारियाँ ही देख, अंगारे न देख।
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दुष्यंत कुमार
शुक्रवार, 28 अगस्त 2009
गुरुवार, 27 अगस्त 2009
मैं सजदे में नहीं था, आपको धोखा हुआ होगा
ये सारा जिस्म झुककर बोझ से दुहरा हुआ होगा,
मैं सजदे में नहीं था, आपको धोखा हुआ होगा।
यहाँ तक आते आते सूख जाती हैं कई नदियाँ,
मुझे मालूम है पानी कहाँ ठहरा हुआ होगा।
ग़ज़ब ये है कि अपनी मौत की आहट नहीं सुनते,
वो सब-के-सब परीशाँ हैं वहाँ पर क्या हुआ होगा।
तुम्हारे शहर में ये शोर सुन-सुनकर तो लगता है,
कि इन्सानों के जंगल में कोई हाँका हुआ होगा।
कई फ़ाके बिताकर मर गया जो उसके बारे में,
वो सब कहते हैं अब, ऐसा नहीं, ऐसा हुआ होगा।
यहाँ तो सिर्फ गूँगे और बहरे लोग बसते हैं,
खुदा जाने यहाँ पर किस तरह जलसा हुआ होगा।
चलो, अब यादगारों की अँधेरी कोठरी खोलें,
कम-अज़-कम एक वो चेहरा तो पहचाना हुआ होगा।
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दुष्यंत कुमार
शुक्रवार, 14 अगस्त 2009
अचानक
अच्छा खासा काम में
लगा आदमी
आ सकता है
सड़क पर
अचानक
कभी भी कह सकते हैं
बॉस-
देख लो अपना ठिकाना
अब तुम्हारी नही जरुरत
अचानक रसोई में
कमी हो सकती है
आटा दाल चावल चीनी की
बंद हो सकता है अचानक
बच्चे को आनेवाला दूध
और उसका प्राइवेट स्कूल में
पढ़ना
मकान मालिक
करवा सकता है
अचानक
कमरा खाली
अभी अभी
थोड़ा ढंग से जीने की
सर उठाती हसरतें
गिर सकती हैं
अचानक
औंधे मुंह
..क्योंकि अच्छा खासा काम में
लगा आदमी
आ सकता है सड़क पर
अचानक
भागीरथ
लगा आदमी
आ सकता है
सड़क पर
अचानक
कभी भी कह सकते हैं
बॉस-
देख लो अपना ठिकाना
अब तुम्हारी नही जरुरत
अचानक रसोई में
कमी हो सकती है
आटा दाल चावल चीनी की
बंद हो सकता है अचानक
बच्चे को आनेवाला दूध
और उसका प्राइवेट स्कूल में
पढ़ना
मकान मालिक
करवा सकता है
अचानक
कमरा खाली
अभी अभी
थोड़ा ढंग से जीने की
सर उठाती हसरतें
गिर सकती हैं
अचानक
औंधे मुंह
..क्योंकि अच्छा खासा काम में
लगा आदमी
आ सकता है सड़क पर
अचानक
भागीरथ
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